Sad Shayari, Baat he kai bataou kese
Dil me he gubar sunaou kese
Baat he kai bataou kese...
Me kya tha na raha ab wese
Ummed kho gai kahi
usko dhundu ab kese
Ladta hu roz khud se
tut rahi himmat ab
Khud ko samjhou kese...
Hasta hu muskrata hu magar
Wo sukun dhundu ab kese
Rasta dikhta nahi kahi
Ummede jagaou khud me kese
Suna tha wo he kahi
Pukara usko, usko kia yaad
Magar lagata hai rutha sa hai
wo mujhse jese
दिल में है गुबार सुनाऊं कैसे
बात है कि बताऊं कैसे
में क्या था ना रहा अब वैसे
उम्मीद खो गई कहीं
उसको ढूंढू अब कैसे
लड़ता हूं रोज खुदसे
टूट रही हिम्मत अब
खुद को समझाऊं कैसे
हस्ता हूं मुस्कुराता हूं मगर
वो सुकून ढूंढू अब कैसे
रास्ता दिखता नहीं कहीं
उम्मीदे जगाऊं खुद में कैसे
सुना था वो है कहीं
पुकारा उसको ,उसको किया याद
मगर लगता है रूठा सा है वो मुझसे जैसे
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